[1]
भारतीय विदेशी नागरिकता कार्डहोल्डर
के विषय में
निम्नलिखित में से
कौन-सा कथन
सही है?
A)
|
इसमें
भारतीय मूल के व्यक्ति
कार्ड योजना एवं समुद्रपारीय
भारतीय नागरिक कार्ड योजना
का विलय किया
गया है।
|
B)
|
इसे
भारत में मतदान करने
का अधिकार नहीं
होगा।
|
C)
|
इसे
भारत में संवैधानिक एवं
सार्वजनिक पद प्राप्त
करने का अधिकार
नहीं होगा।
|
D)
|
उपर्युक्त
सभी।
|
[2]
निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजिये-
1. नागरिकता अधिनियम, 1955 में अब
तक चार बार
संशोधन किया जा
चुका है।
2. भारतीय मूल के
व्यक्तियों को दोहरी
नागरिकता प्रदान करने के
लिये भारत में
वर्ष 2003 में एक
उच्च स्तरीय समिति
का गठन किया
गया था।
नीचे दिये गए
कूट का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन करें।
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न
तो 1 और न
ही 2
|
[3]
मूल अधिकार के संदर्भ
में निम्नलिखित कथनों
पर विचार कीजियेः
1. वाद-योग्य नहीं हैं।
2. न्याय-योग्य नहीं हैं।
3. संशोधन-योग्य नहीं हैं।
4. उच्चतम न्यायालय के मूल
क्षेत्राधिकार के अंतर्गत
नहीं आते हैं।
नीचे दिये गए
कूट का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन करें।
A)
|
केवल
1 और 2
|
B)
|
केवल
1 और 3
|
C)
|
केवल
4
|
D)
|
केवल
1, 2 और 4
|
[4]
मूल अधिकार के विषय
में निम्नलिखित में
से कौन-सा
कथन सही नहीं
है?
A)
|
वाक्
एवं अभिव्यक्ति की
स्वतंत्रता भारतीय नागरिकों के
साथ-साथ विदेशियों
को भी प्राप्त
है।
|
B)
|
धर्म,
मूलवंश, जाति, लिंग या
जन्मस्थान के आधार
पर विभेद का
प्रतिषेध विदेशियों को प्राप्त
नहीं है।
|
C)
|
प्राण
एवं दैहिक स्वतंत्रता
का संरक्षण भारतीय
नागरिकों के साथ-साथ विदेशियों को
भी प्राप्त है।
|
D)
|
उपरोक्त
सभी।
|
[5]
निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजिये:
1. भारतीय संविधान में मूल
अधिकारों को शामिल
करने के लिये
नेहरू रिपोर्ट (1928) में
समर्थन किया गया
था।
2. भारतीय संविधान के भाग-3
में राज्य को
परिभाषित किया गया
है।
नीचे दिये गए
कूट का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन करें।
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न
तो 1 और न
ही 2
|
[6]
भारत में मूल
अधिकारों के संदर्भ
में निम्नांकित में
से कौन-सा
कथन ‘असत्य’ है?
A)
|
यह
राज्य के कार्यों
के विरुद्ध एक
गारंटी है।
|
B)
|
यह
सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक
न्याय सुनिश्चित करता है।
|
C)
|
यह
अमेरिका में अधिकारों के
बिल की भाँति
है।
|
D)
|
इसे
आपातकालीन स्थिति में निलंबित
किया जा सकता
है।
|
[7]
निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजिये:
1. संविधान का अनुच्छेद-13
संवैधानिक प्रावधानों को संसद
या राज्य के
विधानमंडलों द्वारा बनाए गए
नियमों/कानूनों पर प्राथमिकता
प्रदान करता है।
2. भारत में मूल
अधिकारों को लागू
करने की शक्ति
केवल उच्चतम न्यायालय
एवं उच्च न्यायालयों
को प्राप्त है।
नीचे दिये गए
कूट का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन कीजिये:
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न
तो 1 और न
ही 2
|
[8]
निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजियेः
1. समानता का अधिकार
एक मूल अधिकार
है, जिसकी चर्चा
भारतीय संविधान के चार
अनुच्छेदों के अंतर्गत
की गई है।
2. धर्म आदि के
आधार पर विभेद
का प्रतिषेध एक
मूल अधिकार है,
जिसका उल्लेख समानता
के अधिकार के
अंतर्गत किया गया
है।
नीचे दिये गए
कूट का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन कीजिये:
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न
तो 1 और न
ही 2
|
[9]
भारतीय संविधान के मूल
अधिकार के संदर्भ
में निम्नलिखित कथनों
पर विचार कीजियेः
1. विधि के समक्ष
समता ब्रिटेन के
संविधान से लिया
गया है। यह
एक सकारात्मक अधिकार
है।
2. विधियों का समान
संरक्षण अमेरिका के संविधान
से लिया गया
है। यह एक
नकारात्मक अधिकार है।
नीचे दिये गए
कूटों का प्रयोग
कर सही उत्तर
का चयन कीजिये:
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न
तो 1 और न
ही 2
|
[10]
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-16
के अंतर्गत नियोजन
के विषय में
अवसर की समता
के अपवाद के
अंतर्गत निम्नलिखित में से
कौन शामिल नहीं
है?
A)
|
अनुसूचित
जाति एवं जनजाति के
लिये राज्य सेवाओं में
पदोन्नति में आरक्षण की
व्यवस्था।
|
B)
|
राज्य
के अधीन सेवाओं
में पिछड़ा वर्ग
के लिये आरक्षण
की व्यवस्था।
|
C)
|
अनुसूचित
जाति, जनजाति एवं पिछड़ा
वर्ग के लिये
सरकारी, गैर-सरकारी शिक्षण
संस्थानों में आरक्षण की
व्यवस्था।
|
D)
|
धार्मिक
या सांप्रदायिक संस्था
के क्रियाकलाप से
संबंधित किसी विशिष्ट धर्म/संप्रदाय के पदधारी
संबंधी प्रावधान।
|
[1]
उत्तरः
(d)
व्याख्याः उपर्युक्त सभी कथन
सही हैं।
भारतीय विदेशी नागरिक कार्डहोल्डर
एक नई योजना
है, जिसमें पी.आई.ओ.
एवं ओ.सी.आई. कार्ड
योजना का विलय
किया गया है।
यह नई कार्ड
योजना नागरिक (संशोधन)
अधिनियम, 2015 में प्रारंभ
किया गया है।
पी.आई.ओ.
कार्ड योजना 2002 में
एवं ओ.सी.आई. कार्ड
योजना 2005 में शुरू
की गई थी।
अब पी.आई.ओ. कार्ड
योजना को समाप्त
कर दिया गया
है।
यह भारत में
निम्नलिखित के लिये
योग्य नहीं होंगे:
- मतदान के लिये।
- राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति
चुने जाने के
लिये।
- लोकसभा, राज्य सभा,
विधानसभा या विधान
परिषद के सदस्य
चुने जाने के
लिये।
- सर्वोच्च न्यायालय या
उच्च न्यायालय के
न्यायाधीश बनने के
लिये।
- सार्वजनिक पद प्राप्त
करने के लिये
आदि।
[2]
उत्तरः
(d)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन
गलत हैं, क्योंकि
नागरिकता अधिनियम, 1955 में 2015 तक कुल
आठ बार संशोधन
किया जा चुका
है, जो निम्नलिखित
है:
(1) वर्ष 1957
(2) वर्ष 1960
(3) वर्ष 1985
(4) वर्ष 1986
(5) वर्ष 1992
(6) वर्ष 2003
(7) वर्ष 2005
(8) वर्ष 2015
भारतीय मूल के
व्यक्तियों को दोहरी
नागरिकता प्रदान करने के
लिये सितम्बर 2000 में
एल.एम. सिंघवी
की अध्यक्षता में
एक उच्च स्तरीय
समिति का गठन
किया गया न
कि वर्ष 2003 में।
इस समिति द्वारा
जनवरी 2002 में अपनी
रिपोर्ट सौपी गई
एवं नागरिकता (संशोधन)
अधिनियम, 2003 में 16 निर्दिष्ट देशों
में (पाकिस्तान एवं
बांग्लादेश को छोड़कर)
भारतीय मूल के
व्यक्तियों के लिये
विदेशी भारतीय नागरिकता का
प्रावधान किया गया।
नागरिकता
(संशोधन) अधिनियम, 2005 में सभी
देशों में (पाकिस्तान
एवं बांग्लादेश को
छोड़कर) भारतीय मूल के
व्यक्तियों के लिये
विदेशी भारतीय नागरिकता का
प्रावधान किया गया।
[3]
उत्तरः
(c)
व्याख्याः उपर्युक्त में से
केवल कथन 4 सही
है।
मूल अधिकार वाद-योग्य
हैं, जबकि राज्य
के नीति निदेशक
तत्त्व अवाद-योग्य
हैं।
मूल अधिकार न्याय-योग्य/न्यायोचित हैं, क्योंकि
इनके उल्लंघन पर व्यक्ति
उच्च न्यायालय या
उच्चतम न्यायालय में जा
सकता है।
संसद, संविधान के अनुच्छेद-368
के तहत मूल
अधिकारों में संशोधन
कर सकती है,परंतु साधारण विधि
से नहीं।
मूल अधिकार के उल्लंघन
पर कोई व्यक्ति
सीधे उच्चतम न्यायालय
में जा सकता
है, परंतु यह
उच्चतम न्यायालय के मूल
(Original) क्षेत्राधिकार के अंतर्गत
नहीं आता है।
उच्चतम न्यायालय के मूल
(Original) क्षेत्राधिकार को अनन्य
क्षेत्राधिकार भी कहते
हैं।
मौलिक अधिकार असीमित नहीं
हैं। राज्य इन
पर युक्तियुक्त प्रतिबंध
लगा सकता है।
आपातकाल
के समय मूल
अधिकार को निलंबित
किया जा सकता
है, अनुच्छेद-20 एवं
21 को छोड़कर।
[4]
उत्तरः
(a)
व्याख्याः उपर्युक्त कथनों में
से कथन (a) गलत
है, क्योंकि कुछ
ऐसे मूल अधिकार
हैं, जो केवल
भारतीय नागरिकों को प्राप्त
हैं, जैसे:
i. अनुच्छेद-15
ii. अनुच्छेद-16
iii. अनुच्छेद-19
iv. अनुच्छेद-29
v. अनुच्छेद-30
वाक् एवं अभिव्यक्ति
की स्वतंत्रता संविधान
के अनुच्छेद-19(1) (क)
में वर्णित है।
यह मूल अधिकार
केवल भारतीय नागरिकों
को प्राप्त है।
धर्म, मूलवंश, जाति,
लिंग या जन्मस्थान
के आधार पर
विभेद का प्रतिबंध
संविधान के अनुच्छेद-15
में वर्णित है।
यह अधिकार केवल
भारतीय नागरिकों को प्राप्त
है।
प्राण एवं दैहिक
स्वतंत्रता का संरक्षण
संविधान के अनुच्छेद-21
में वर्णित है।
यह मूल अधिकार
भारतीय नागरिकों एवं विदेशियों
दोनों को प्राप्त
है।
[5]
उत्तरः
(c)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन
सही हैं।
नेहरू रिपोर्ट, 1928 में मूल
अधिकारों को संविधान
में शामिल करने
का समर्थन किया
गया था।
भारतीय संविधान के भाग-3
के अनुच्छेद-12 से
35 तक मूल अधिकारों
की चर्चा की
गई है। अनुच्छेद-12
में राज्य की
विस्तृत परिभाषा दी गई
है।
[6]
उत्तरः
(b)
व्याख्याः कथन (b) असत्य है,
क्योंकि सामाजिक, आर्थिक एवं
राजनीतिक न्याय संबंधी प्रावधान
भारतीय संविधान की प्रस्तावना
एवं राज्य के
नीति निदेशक सिद्धांत
में किया गया
है, न कि
मूल अधिकार में।
मूल अधिकार राज्य के
कार्यों के विरुद्ध
गारंटी प्रदान करते हैं।
मूल अधिकारों के
उल्लंघन पर व्यक्ति
राज्य के विरुद्ध
न्यायालय में जा
सकता है।
भारत में मूल
अधिकार अमेरिका में ‘बिल
ऑफ राइट्स’ के
समान है।
आपातकालीन
स्थिति में अनुच्छेद-20
एवं 21 को छोड़कर
अतिरिक्त मूल अधिकारों
को निलंबित किया
जा सकता है।
[7]
उत्तरः
(c)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन
सही हैं, क्योंकि
संविधान के अनुच्छेद
13 में यह प्रावधान
किया गया है
कि संसद या
राज्य के विधानमंडलों
द्वारा ऐसी कोई
विधि/कानून नहीं
बनाई जाएगी, जो
भाग-3 में प्रदत्त
मूल अधिकारों को
छीनता या न्यून
करता हो। यदि
कोई विधि मौलिक
अधिकारों का उल्लंघन
करता है तो
उस सीमा तक
विधि शून्य/अवैध
होगी।
भारत में केवल
उच्चतम न्यायालय एवं उच्च
न्यायालयों को मूल
अधिकारों को प्रवर्तन
करने की शक्ति
प्राप्त है। वे
संविधान के अनुच्छेद-32
एवं 226 के तहत
रिट निकाल सकते
हैं।
[8]
उत्तरः
(b)
व्याख्याः उपर्युक्त में से
कथन 1 गलत हैं,
क्योंकि समानता का अधिकार
एक मूल अधिकार
है। इनकी चर्चा
संविधान के पाँच
अनुच्छेदों (अनुच्छेद-14-18) में की
गई है न
कि चार अनुच्छेदों
में। धर्म आदि
के आधार पर
विभेद का प्रतिषेध
एक मूल अधिकार
है। इसकी चर्चा
समानता के अधिकार
(अनुच्छेद-15) के अंतर्गत
की गई है।
[9]
उत्तरः
(d)
व्याख्याः उपर्युक्त दोनों कथन
गलत हैं।
संविधान
के अनुच्छेद-14 में
कहा गया है
कि राज्य, भारत
के राज्यक्षेत्र में
किसी व्यक्ति को
विधि के समक्ष
समता से या
विधियों के समान
संरक्षण से वंचित
नहीं करेगा।
विधि के समक्ष
समता ब्रिटेन के
संविधान से लिया
गया है। यह
एक नकारात्मक अधिकार
है, जबकि विधियों
का समान संरक्षण
अमेरिका के संविधान
से लिया गया
है। यह एक
सकारात्मक अधिकार है।
[10]
उत्तरः
(c)
व्याख्याः कथन (c) संबंधी प्रावधान
भारतीय संविधान के अनुच्छेद
15(5) के अंतर्गत किया गया
है। 93वें संविधान
संशोधन अधिनियम के द्वारा
यह प्रावधान जोड़ा
गया। अल्पसंख्यक शिक्षण
संस्थानों को छोड़कर
सभी सरकारी एवं
गैर-सरकारी शिक्षण
संस्थानों में अनुसूचित
जाति, जनजाति एवं
पिछड़ा वर्ग के
आरक्षण संबंधी प्रावधान है।
अनुच्छेद
15(3) स्त्रियों एवं बच्चों
के लिये विशेष
प्रावधान की व्यवस्था
करता है।
कथन (a)
संबंधी प्रावधान अनुच्छेद-16(4) (क)
में किया गया
है। 77वें संविधान
संशोधन अधिनियम 1995 द्वारा यह प्रावधान
जोड़ा गया है।
इसके लिये 82वें
संविधान संशोधन अधिनियम, 2000 भी
किया गया एवं
संविधान के अनुच्छेद-335
में संशोधन किया
गया। 85वें संविधान
संशोधन अधिनियम, 2001 के द्वारा
पदोन्नति में आरक्षण
के साथ पारिमाणिक
ज्येष्ठता (Consequential
Seniority) जोड़ा गया और
इसे भूतलक्षी प्रभाव
(retrospective effect) से लागू किया
गया।
कथन (b)
संबंधी प्रावधान अनुच्छेद 16(4) में
किया गया है।
कथन (d)
संबंधी प्रावधान अनुच्छेद 16(5) में
किया गया है।
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