चीन "एक चीन नीति" के अंतर्गत उन क्षेत्रों को अपना हिस्सा बताता है जहां उसने किसी न किसी प्रकार से नियंत्रण स्थापित किया हुआ है यथा- ताइवान पर चीन का नियंत्रण हलाकि तायवान को काफी हद तक आंतरिक स्वतंत्रता प्राप्त है किंतु उसकी विदेशी मामलों एवं सुरक्षा संबंधित मामलों में चीन का ही अधिकार हैl चीन तिब्बत को भी अपना क्षेत्र बताता है जबकि तिब्बत ऐतिहासिक तौर पर चीन का हिस्सा नहीं है,
इस प्रकार चीन इन सभी क्षेत्रों को अपने अंदर बताता है और एक चीन की बात करता है और 'एक चीन नीति' का सम्मान करने की बात बहुत ही दृढ़ता से वैश्विक पटल पर सामने रख रहा हैl
एक चीन नीति के पीछे चीन का उद्देश्य:-
- चीन अपना एकाधिकारवादी नजरिया वैश्विक पटल पर प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा है
- एशियाई क्षेत्रों में इस के दबदबे को प्रदर्शित कर रही है
- इस नीति के तहत चीन एशिया में शक्ति-संतुलन को अपनी ओर छुकाने का प्रयास कर रहा है हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस नीति को मान्यता प्रदान करने की बात कही है
'एक चीन नीति' का भारत पर प्रभाव :-
चीन की वन चाइना पॉलिसी उसकी साम्राज्यवादीता को प्रदर्शित करती है इसके तहत वह चाहता है कि जिस क्षेत्र पर भी उसका दखल हो प्रत्येक देश की मान्यता प्रदान की जानी चाहिए l
यदि चीन की नीति पर नियंत्रण नहीं किया गया तो वह समूचे दक्षिण चीन सागर को अपना क्षेत्र बताएगा और अन्य देशों से उसका सम्मान करने की बात कहेगा तथा निकट भविष्य में यह भी संभव है कि अरुणाचल प्रदेश और पाक अधिकृत कश्मीर पर अपना दावा प्रस्तुत कर उसे एकल चीन का भाग का दावा कर सकता है जिससे अखंडता के साथ-साथ भारत की संप्रभुता पर भी असर पड़ेगा l
निष्कर्ष: यह कहा जा सकता है कि चीन की वन चाइना पॉलिसी उसके प्रसार वादी को स्पष्ट करती है इस विधि को समुचित तरीके से नियंत्रित करने की आवश्यकता है ताकि भारत सहित दक्षिण एशियाई क्षेत्र की अखंडता को भी कायम रखा जा सकेl
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