उत्तर :
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय अपनी आज़ादी सुनिश्चित करने के लिये शुरुआती दिनों से ही भारतीयों द्वारा भारत सहित विदेशी धरती पर चहुँमुखी प्रयास देखने को मिलता है।
- आरंभ में उदारवादियों द्वारा भारत की ही भाँति विदेशों में संस्थाएँ स्थापित कर तथा पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से अपनी मांगों को मुखर रूप से उठाया गया।
- आरंभ की गतिविधियों के रूप में दादाभाई नौरोजी द्वारा लंदन में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की गई।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा भी लंदन में ब्रिटिश कमेटी ऑफ इंडिया की स्थापना की गई। इस संस्था द्वारा वहाँ ‘इंडिया’ नामक एक पत्रिका भी निकाली गई।
- बाद के दिनों में जब भारत में स्वतंत्रता हेतु क्रांतिकारी गतिविधियाँ जोर पकड़ने लगी, ऐसे में इन भारतीय क्रांतिकारी संगठनों के संचालन व समन्वय हेतु विदेशों में भी संगठन बने।
- क्रांतिकारी संगठनों में श्यामजी कृष्ण वर्मा द्वारा इंडिया हाउस की स्थापना की गई। इस संगठन ने ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के बीच राष्ट्रवादी भावना का प्रचार-प्रसार किया। इसी संगठन से जुड़े मदनलाल ढींगरा ने लंदन में कर्जन वायली की हत्या कर दी थी।
- मैडम भीकाजी काम द्वारा पेरिस व जेनेवा में राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रचार किया गया।
- विदेशी धरती से क्रांतिकारी गतिविधियों के संचालन में सैन फ्रांसिस्कों में स्थापित गदर पार्टी की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। इसने कई भारतीय भाषाओं में ‘गदर’ नामक पत्रिका का प्रकाशन कर राष्ट्रवादी गतिविधि को प्रचारित किया। इस पार्टी ने पंजाब में भी क्रांतिकारी घटनाओं बढ़ावा दिया।
- भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा अंग्रेज के विरूद्ध सैन्य गतिविधि संचालित करने के लिये जापान एवं जर्मनी की सहायता से आज़ाद हिंद फौज का गठन किया गया।
महत्त्व
आरंभिक उदारवादियों द्वारा की गई कार्यवाहियों के माध्यम से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया वैचारिक आधार मिला क्योंकि इससे पहले ब्रिटिश जनता व सरकार भारतीय समस्याओं से अनजान थे। इसने भारत में अंग्रेजी शासन व साम्राज्यवाद के खोखलेपन को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया जिससे ब्रिटेन पर एक दबाव बना। इसके अतिरिक्त इसने भारतीयों को भी स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति उत्साह व संगठन बनाकर संघर्ष करने की प्रेरणा दी।
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