किसी देश या आसपास के वातावरण या अन्य देश के साथ आपसी संबंध के लिए निर्धारित किए गए विचारों और नीतियों को उस देश की विदेश नीति कहा जाता है। जे. बंदोपाध्याय के अनुसार 'विदेश नीति से तात्पर्य राष्ट्रीय व्यवस्था में उद्देश्य एवं माध्यमों का चुनाव करने की प्रक्रिया है 'अर्थात राष्ट्रों के साथ संबंध बनाए रखने का राष्ट्रीय प्रोटोकोल है।
भारतीय विदेश नीति के निर्धारण में बाहरी कारकों के साथ साथ घरेलू कारकों की भी अहम भूमिका होती है जिसमें से कुछ प्रमुख घरेलू कारक निम्नलिखित हैं:-
1. भौगोलिक कारक
भू-भाग या भौगोलिक कारकों के द्वारा विदेश नीति अत्यधिक प्रभावित होती है जिसमें देश की स्थिति, आकार और आकृति आदि महत्वपूर्ण हैं , उदाहरण के लिए भारत का विशाल क्षेत्र हिमालय से घिरा होना, विश्व के सबसे बड़ा महासागर हिंद महासागर के दक्षिण में होना, तीन तरफ से महासागरों से घिरा होना आदि ।
2.जनसंख्या
भारत विश्व की दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या वाला देश होने के साथ-साथ सर्वाधिक युवा जनसंख्या वाला देश है अर्थात बेहतर मानव संसाधन और तीव्र गति से विकास करने वाला देश होने के कारण अन्य देशों को आकर्षित करता है।
3.ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारक
भारत की विदेश नीति निर्माण इतिहास और संस्कृति से प्रेरित है क्योंकि एक तरफ अशोक के शक्ति एवं सहस्तित्व के विचार को अपनाया है वही चाणक्य के इस विचार को भी अपनाया है कि राज्य को शक्तिशाली बनाने के लिए किसी भी उपाय का सहारा लिया जा सकता है । साथ ही पारंपरिक और सांस्कृतिक लगाव भी विदेश नीति के निर्धारण को प्रभावित करती है जैसे अरुणाचल प्रदेश की संस्कृति (खान-पान ,रहन-सहन आदि )का चीन की संस्कृति से जुड़ा होना ।
4.आर्थिक विकास
वर्तमान में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश होने के साथ तीव्र गति से विकास करने वाला देश है जो विश्व का व्यापक बाजार बना है जिससे अन्य देश भारत की ओर आकर्षित हो रहे हैं, हालिया समय में "मेक इन इंडिया कार्यक्रम" के तहत ज्यादा से ज्यादा निवेश को आकर्षित करने का प्रयास भी किया गया है ।
5. शासन प्रणाली
अन्य घरेलू कारकों के अलावा यह सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कारक है कि किसी देश की शासन प्रणाली कितनी पारदर्शी हो उत्तरदाई है तथा आंतरिक समस्याओं को सुलझाने में कितना सक्षम है क्योंकि यह विदेशी नीति को सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं उदाहरण के तौर पर जम्मू कश्मीर के मुद्दे आदि ।
उपर्युक्त कारकों के अलावा और भी महत्वपूर्ण कारक है जो विदेश नीति के निर्धारण में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं जिसमें नेतृत्व की प्रवृत्ति आदि महत्वपूर्ण है ।