[1]
जलवायु परिवर्तन के संदर्भ
में निम्नलिखित कथनों
पर विचार कीजिये:
वैश्विक
तापमान में वृद्धि
के कारण फसलों
की जल आवश्यकता
में वृद्धि होगी।
इससे हाइड्रोपावर क्षमता में
वृद्धि होगी।
तटीय प्रदेशों में समुद्री
जल की घुसपैठ
से आसपास की
भूमि कृषि करने
योग्य उर्वर हो
जाएगी।
उपर्युक्त
में से कौन-सा/से
कथन सही नहीं
है/हैं?
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
केवल
1 और 3
|
D)
|
केवल
2 और 3
|
[2]
जलवायु परिवर्तन के स्वास्थ्य
पर प्रभाव के
संदर्भ में निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजिये:
जलवायु परिवर्तन निम्नस्थ तटीय
क्षेत्र, छोटे द्वीप
में रहने वाले
लोगों के स्वास्थ्य
को अधिक प्रभावित
करेगा।
उच्च अक्षांशीय क्षेत्रों के
लोगों में कुपोषण
जैसी समस्याओं में
वृद्धि निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों
की तुलना में
अधिक होगी।
उपर्युक्त
में से कौन-
सा/से कथन
सही है/हैं?
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
1 और
2 दोनों
|
D)
|
न ही 1, न ही
2
|
[3]
जलवायु परिवर्तन शमन के
लिये रणनीतियों के
संदर्भ में निम्नलिखित
कथनों में से
कौन-सा सही
नहीं है?
A)
|
कार्बन
कैप्चर और स्टोरेज
(CSS-Carbon Capture and Storage) का
प्रारंभिक प्रयोग।
|
B)
|
वनीकरण
एवं पुनर्वनीकरण, वन
प्रबंधन, निर्वनीकरण में वृद्धि।
|
C)
|
सड़क परिवहन मॉडल से
रेल एवं परिवहन
योजना की तरफ
मुड़ना।
|
D)
|
नाइट्रस
ऑक्साइड (N2O) के उत्सर्जन
में कमी हेतु
उन्नत नाइट्रोजन उर्वरक प्रयोग
प्रौद्योगिकी।
|
[4]
निम्नलिखित
कथनों पर विचार
कीजिये:
भारत में वन
एवं जलवायु परिवर्तन
विभाग द्वारा कार्बन
कैप्चर और स्टोरेज
(CCS) पर 2007 में राष्ट्रीय
कार्यक्रम शुरू किया
गया था।
एक कैप्चर और स्टोरेज
(CCS) तकनीकी से युक्त
पावर प्लांट में
साधारण पावर प्लांट
की अपेक्षा वातावरण
से 80-90% तक CO2 उत्सर्जन में
कमी आ सकती
है।
कार्बन कैप्चर एवं स्टोरेज
के अंतर्गत CO2 के
रिसाव का खतरा
बना हुआ है
जो मानव तथा
जंतुओं के लिये
हानिकारक हो सकता
है।
उपर्युक्त
कथनों में से
कौन-सा/से
सही है/हैं?
A)
|
केवल
1
|
B)
|
केवल
2
|
C)
|
केवल
2 और 3
|
D)
|
उपरोक्त
सभी।
|
[5]
निम्नलिखित
में कौन-सा
एक प्राकृतिक सिंक
नहीं है?
A)
|
विघटित
तेल भंडार और
अखननीय खदान
|
B)
|
समुद्र
|
C)
|
वन
|
D)
|
मृदा
|
[1]
उत्तरः
(d)
व्याख्याः
वैश्विक
तापमान वृद्धि के कारण
वाष्पोत्सर्जन अधिक होगा
जिसके फलस्वरूप फसलों
की जल की
आवश्यकता भी बढ़ेगी।
अतः कथन 1 सही
है।
ध्यातव्य
है कि वैश्विक
तापमान में वृद्धि
से पर्वतों के
ग्लेशियर पिघलेंगे जिससे दोनों
गोलार्द्धों में हिम
आवरण में कमी
आएगी। इससे नदियों
की जल उपलब्धता
में कमी आएगी
जो प्रमुख पर्वत
श्रेणियों यथा हिमालय
एंडीज आदि से
निकलती है। इसके
प्रभाव स्वरूप हाइड्रो पावर
क्षमता में भी
कमी आएगी। अतः
कथन 2 सही नहीं
है।
चूँकि समुद्री जल खारा
होता है। अतः
तटीय क्षेत्रों में
समुद्री जल के
फैलने या कृषि
योग्यभूमि क्षेत्रों में प्रवेश
से कृषि योग्य
भूमि की उर्वरता
प्रभावित होगी, भूमि अर्नुवर
हो जाएगी। अतः
कथन 3 सही नहीं
है।
[2]
उत्तरः
(a)
व्याख्याः
चूँकि जलवायु परिवर्तन के
प्रभाव के कारण
तूफान, समुद्र स्तर में
वृद्धि आदि का
प्रभाव सर्वप्रथम निम्नस्थ तटीय
क्षेत्रों मे तथा
छोटे द्वीप पर
पड़ता है, जिसके
कारण इस क्षेत्र
के लोगों में
बीमारी, मृत्यु एवं बाधित
आजीविका का खतरा
अधिक रहेगा। अतः
कथन (1 ) सही है।
जलवायु परिवर्तन का जहाँ
निम्न अक्षांशीय क्षेत्रों
में अत्यधिक प्रतिकूल
प्रभाव पड़ेगा वहीं उच्च
अक्षांशों में तापमान
के बढ़ने के
कारण जल की
उपलब्धता के साथ-साथ वनस्पतियों
व कृषि फसलों
का पलायन भी
निम्न अक्षांश की
ओर होगा, जिससे
उच्च अक्षांशों में
सकारात्मक प्रभाव दिखेगा जबकि
निम्न अक्षांश के
वे क्षेत्र जो
वर्षा पोषित कृषि
द्वारा उत्पादन करते हैं,
परिवर्तनशील वर्षण एवं तापमान
में वृद्धि से
प्रभावित होंगे, खाद्यानों के
उत्पादन में कमी
के साथ ही
कुपोषण जैसी समस्याओं
में वृद्धि होगी।
अतः कथन (2) सही
नहीं है।
[3]
उत्तरः
(b)
व्याख्याः
जलवायु परिवर्तन में कमी
लाने हेतु UNFCCC एवं
क्योटो प्रोटोकॉल की स्थापना,
जलवायु परवर्तन के प्रति
वैश्विक जवाबदेही को दर्शाता
है। वर्तमान में
जलवायु परिवर्तन में कमी
लाने हेतु निम्नलिखित
रणनीतियाँ इस प्रकार
हैं।
ऊर्जा
के क्षेत्र में-
उन्नत आपूर्ति एवं वितरण
कुशलता
नवीकरणीय
ताप एवं शक्ति
कार्बन कैप्चर एवं स्टोरेज
का प्रारंभिक उपयोग
कोयले से गैस
ईंधन की तरफ
उन्मुख होना
नाभिकीय
शक्ति
परिवहन
सड़क परिवहन मॉडल से
रेल एवं सार्वजनिक
परिवहन योजना की तरफ
मुड़ना।
हाइब्रिड
वाहनों को बढ़ावा
देना।
स्वच्छ ईंधन वाले
वाहन के प्रयोग
को बढ़ावा देना।
कृषि
मृदा कार्बन संग्रहण में
वृद्धि करने हेतु
फसल एवं चराई
हेतु भूमि प्रबंधन।
नाइट्रस
ऑक्साइड (N2O) के उत्सर्जन
में कमी लाने
हेतु उन्नत नाइट्रोजन
उर्वरक प्रयोग प्रौद्योगिकी
वानिकी/वन
वनीकरण एवं पुनर्वनीकरण,
वन प्रबंधन, निर्वनीकरण
में कमी
कार्बन अधिग्रहण में वृद्धि
कार्बन
कैप्चरिंग
कार्बन डाइऑक्साइड या कार्बन
के अन्य रूपों
को ग्रहण (Capture) कर
उन्हें लंबे समय
तक संगृहीत करके
रखना कार्बन अधिग्रहण
कहलाता है। इसे
ही (CCS-Carbon Capture and
Storage) के नाम से
भी जाना जाता
है।
[4]
उत्तरः
(c)
व्याख्याः
भारत में कार्बन
कैप्चर और स्टोरेज
की गतिविधियाँ विज्ञान
एवं प्रौद्योगिकी विभाग
के अंतर्गत आती
है।यह विभाग विज्ञान
एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
के अंतर्गत कार्य
करता है। 2007 में
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
मंत्रालय द्वारा कार्बन अधिग्रहण
अनुसंधान पर राष्ट्रीय
कार्यक्रम आयोजित किया गया।
अतः कथन (1) सही
नहीं है|
[5]
उत्तरः
(a)
व्याख्याः
कोई भी माध्यम
जो कार्बन को
छोड़ने से ज़्यादा
अवशोषित करे उसे
कार्बन सिंक कहते
हैं। कार्बन सिंक
दो प्रकार के
होते हैं-प्राकृतिक
सिंक (Natural Sink)। इसके
अंतर्गत-समुद्र, वन, मृदा
आदि तथा कृत्रिम
सिंक (Artificial Sink) विघटित तेल भंडार
(Depleted Oil Reserves), अखननीय
खदान आदि|