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Sunday, December 15, 2019

वर्तमान युग में नैतिक मूल्य सबसे क्रांतिक स्थिति में

नैतिकता, आचरण की वह अवधारणा है जिसमे सदाचार एवं आदर्श जीवन पध्दति हो। नैतिकतापूर्ण जीवन का संकल्प लेने वाला स्वत: जीवन में सहजसुख शांति के मार्ग पर अग्रसर होता है। इसी प्रकार अनैतिक आचरण जीवन के उच्चतम आदर्शों से पतन का कारण बनता है। सत्य प्रेमन्याय तथा शांति को ध्येय मानकर चलने वाले व्यक्ति की नैतिकता ही आदर्श नैतिकता कही जा सकती है। श्रेष्ठ का स्वीकार और अधम के त्याग की भावना ही हमें लक्ष्य तक पहुंचा सकती है।

नैतिकता के अनेक आयाम हो सकते हैं- व्यक्तिगतपारिवारिकसामाजिक एवं राजनैतिक। नैतिकता का रूप बदल सकता है परंतु नैतिक मुल्य कभी परिवर्तित नहीं हो सकते सदैव समान होते हैं तथा अनुपयोगीजर्जर मूल्योंमानदंडों के स्थान पर नवीन उपयोगी मूल्य स्थापित होते रहते हैं।

भारतीय परिवेश में नैतिकता धर्म से जुड़ी हुई है किन्तु आधुनिक जीवन में समाज के लिये कैसी नैतिकता चाहियेइस पर लोगों के अलग-अलग विचार होंगेपर जीवन में परस्पर प्रेमसौहार्द्रसमन्वय तथा सामंजस्य की स्वीकृति प्रमुख रूप से सदा ही होती रहनी चाहिए

परंतु वर्तमान दौर में नैतिकता के सभी आयाम  चाहे वह सामाजिक  नैतिकता होपारिवारिक  नैतिकता हो या राजनैतिक नैतिकता सभी अपने मूल्यों को खोता जा रहा है, कभी किसी ने क्या कल्पना भी नहीं की होगी कि राजनीति में पक्ष और विपक्ष को तो छोड़ दीजिए एक ही पक्ष के लोगों आपस में इस तरह से नैतिकता खो देंगे की मीडिया के सामने  एक दूसरे को जूते मारेंगे 

नैतिकता की राह हमें निश्चय ही आत्मविकासआत्मशोधन की मंजिल की ओर ले जाती है। जीवन के चरमलक्ष्य को पाने के लिये अन्य कोई मार्ग नहीं है परंतु आजकल लोग इस मार्ग से परे अनैतिक मार्गों की ओर चलने को आतुर हो गए हैं।  

भारतीय साहित्य नैतिकता के आख्यानों का भंडार है साथ ही समस्त संसार में मानव समाज ने जीवन के आदर्श मूल्यों को स्वीकृति दी है।

आत्म ज्ञान तथा आत्म विकास के लिये संकल्प लेने वाला कभी अपने आदर्श की अवहेलना नहीं करताप्रत्युत जीवन के पल-पल का उपयोग कर वह उससे सुअवसर का लाभ उठाता रहता हैक्योंकि बिना नैतिक आचरण के आत्मविकास संभव ही नहीं है तो बिना आत्म ज्ञानअभ्युदय के सुख तथा शांति की कल्पना भी व्यर्थ है। अस्तु मानव जीवन के अनमोल संयोग सुअवसर के सावधानी से लक्ष्य पर केंद्रित करके ही आत्मोन्नति के शिखर चढ़े जा सकते हैं। जीवन का यह परम सदुपयोग होगा। नैतिकता अवधारणा को उच्च आचरण-व्यवहार में लाकर ही उसकी उपलब्धि की अनुभूति संभव है। आचार संबंधी बातेंव्याख्यानों में तो होती ही रहती हैं।

अच्छे पथ पर अनुसरण तथा गलत रास्ते का त्याग जीवन की प्रथम शिक्षा का मूलमंत्र रहा है। माता-पिता एवं गुरु को देवता समान आदन देने की शिक्षानैतिकता की प्रारंभिक सीख है। बचपन के मन में डाले गये संस्कार के बीज फूलन-फलने पर मीठे फल ही देते हैं।

आधुनिक समय की भाग दौड़ और व्यस्तता में नैतिक मूल्यों की बातें सुनने का अवकाश कहांकिन्तु हमारे जीवन में जो इन मूल्यों की धरोहर है उसे नष्ट होने देना ठीक नहीं हैइसीलिए सावधानी से उच्च विचारोंआदर्शों को आचरित करते रहने से ही वे जीवित रह सकते हैं। इससे हम निरंतर अंधकार से आलोक की ओर बढ़ने का मार्ग पायेंगे।

जो जीवन में उत्तम लक्ष्य चुनता हैगलत आदतों के प्रति उदासीन रहता हैसत्य-प्रेम के मार्ग को नहीं छोड़ता उसे कोई भय नहीं रहता और वह अपने लक्ष्य से कभी भटकता नहीं।


नैतिकता का दर्शन आत्म ज्ञान का दर्शन है। इसकी अवधारणायें अनेक हैं किन्तु असल बात है नैतिकतापूर्ण मूल्यों को जीवन में उतारना। मनुष्य को अपने विवेक के अनुसार उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति का अवसर गंवाना नहीं चाहिये। सद्गति के लिये तो यही पथ है।

Monday, July 30, 2018

प्रश्न:-अभिरुचि से आप क्या समझते हैं? एक सिविल सेवक में किस प्रकार की अभिरुचियों का होना आवश्यक है?

           
       अभिरुचि किसी व्यक्ति की विशेषताओं का ऐसा संयोजन है जो बताता है कि अगर उसे उचित वातावरण और प्रशिक्षण दिया जाए तो वह किसी क्षेत्र विशेष में सफल होने के लिये आवश्यक योग्यताओं तथा दक्षताओं को सीखने की कितनी क्षमता रखता है। यह किसी क्षेत्र विशेष से संबंधित कौशल को सीखने अथवा ज्ञानार्जन की जन्मजात अथवा अर्जित क्षमता है। आमतौर पर अभिरुचियाँ जन्मजात होती हैं लेकिन वे अर्जित भी हो सकती हैं। अभिरुचि बुद्धिमत्ता, ज्ञान, समझ, रुचि, कौशल से भिन्न है। सामान्यतः एक अच्छे सिविल सेवक में निम्नलिखित अभिरुचियाँ होनी चाहिये-
  • भाषा पर सूक्ष्म पकड़: सिविल सेवा में निर्णयन की संपूर्ण प्रक्रिया नोटिंग और ड्राफ्टिंग के माध्यम से होती है। इसके अलावा सिविल सेवक को बहुत सारे प्रतिवेदन लिखने-पढ़ने और समझने भी होते हैं। अगर कोई व्यक्ति शब्दों के गलत प्रयोग के माध्यम से सिविल सेवक को बहकाने में सफल हो जाए तो एक भी गलत निर्णय देश को भारी हानि पहुँचा सकता है। इसलिए जटिल-से-जटिल कथनों का सटीक अर्थ समझने की क्षमता और कठिन-से-कठिन उलझी हुई बातों को सरल तथा पारदर्शी भाषा में लिखने की क्षमता अच्छे सिविल सेवक के लिये आवश्यक है।
  • उच्च तार्किक क्षमता: सिविल सेवक को जटिल परिस्थितियों को समझना, विभिन्न क्षेत्रों के तथ्यों को आपस में जोड़ना तथा उनका विश्लेषण करना आदि कार्य करने होते हैं। इसलिये उच्च तर्क क्षमता का होना ज़रूरी है। 
  • निर्णयन समस्या समाधान की सटीक क्षमता: यह तर्क क्षमता का ही व्यावहारिक रूप है। सिविल सेवक के कॅरियर में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब उसे स्पष्ट तथा कठिन निर्णय लेने होते हैं और उसके निर्णय की थोड़ी-सी भी चूक कई व्यक्तियों के जीवन पर भारी पड़ सकती है। इसके अलावा, उसे दिन-प्रतिदिन अपने कर्मचारियों से लेकर अपने क्षेत्र के निवासियों तक की विभिन्न समस्याओं का समाधान करना होता है, जिसके लिये एक सकारात्मक एवं सुलझा हुआ दृष्टिकोण आवश्यक है। 
  • गणितीय आँकड़ों को समझने की क्षमता: एक सिविल सेवक से यह अपेक्षा होती है कि वह गणित की आधारभूत संकल्पनाओं को भली प्रकार समझता हो, ताकि सामान्य गणनाएँ करने एवं उन्हें समझने में उसे समस्या हो, क्योंकि उसके सभी प्रतिवेदन आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण पर आधारित होते हैं।
  • संचार एवं संप्रेषण का कौशल: एक अच्छे सिविल सेवक से आशा होती है कि वह समाज को उचित नेतृत्व दे सके। इसके अलावा, उसे बहुत सारे कर्मचारियों का प्रबंधन भी करना होता है। लोक कल्याणकारी राज्य में राज्य जिस विकास को साधना चाहता है उसके लिये ज़रूरी है कि जनता भी उस प्रक्रिया को समझे तथा सक्रिय रूप से उसमें शामिल हो। इसके लिये ज़रूरी है कि लोक सेवक में दूसरों की बातों, विचारों और भावनाओं को समझने की तथा अपनी बात को सटीक तरीके से समझाने की क्षमता होनी चाहिये। 
       उपरोक्त के अतिरिक्त एक सिविल सेवक को अपने आस-पास तथा विश्व की घटनाओं और स्थितियों एवं समस्याओं को जानने और समझने की सामान्य आदत भी होनी चाहिये।