उत्तर :
भारत के अधिकांश श्रमिक प्राथमिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और इस क्षेत्र के असंगठित होने के कारण श्रमिकों के मध्य सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।भारत में श्रमिकों की बहुलता है। श्रमिक वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की एक महत्त्वपूर्ण इकाई है। इसके बावज़ूद भारतीय श्रमिक वर्ग सामाजिक सुरक्षा के मामले में कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं-
- भारत के अधिकांश श्रमिक प्राथमिक क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और इस क्षेत्र के असंगठित होने के कारण श्रमिकों के मध्य सामाजिक सुरक्षा का अभाव है।
- दूसरी तरफ सरकारी क्षेत्र में रोज़गार के अवसर बढ़ने की बजाय हाल के वर्षों में कम हुए हैं।
- इसी प्रकार सार्वजनिक क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों में वृद्धि नहीं हुई बल्कि समय-समय पर स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना और स्वीकृत पदों पर रिक्तियों के चलते सरकारी कर्मचारियों की संख्या में उत्तरोत्तर कमी होती गई।
- संगठित निजी क्षेत्रों में भी रोज़गार के अवसरों में वांछित वृद्धि नहीं हुई है। हाल के वर्षों में आर्थिक विकास की दर की गति काफी तेज़ रही है, जबकि रोज़गार के अवसरों का सृजन नहीं हुआ।
- वर्ष 2002 के पश्चात् वैश्विक मंदी के चलते अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों में छंटनी तथा प्रौद्योगिकी के तेज़ विकास एवं अधिकाधिक प्रयोग से नौकरियों की कटौती हुई है।
भारतीय संविधान में ‘श्रम’ समवर्ती सूची का विषय है, अतः इस पर केंद्र व राज्य सरकारें दोनों ही कानून बना सकती हैं। पिछले सात दशकों में केंद्र व राज्य सरकारों ने श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याण के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं-
- कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम (ESI act) के तहत निर्धारित मज़दूरी की सीमा 15000 रुपए से बढ़ाकर 21000 रुपए प्रतिमाह कर दी गई है।
- ESI के तहत सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल पर आधारित विभिन्न स्तरों के अस्पतालों में इलाज़ की सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में कदम उठाए हैं।
- मातृत्व लाभ के अंतर्गत वैतनिक अवकाश 12 सप्ताह कर दिया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने सार्वभौम खाता संख्या (UAN) प्रारंभ की है।
- श्रमेव जयते कार्यक्रम में एकीकृत पोर्टल ‘श्रम सुविधा पोर्टल’ प्रारंभ किया गया है।
- श्रम कानूनों के तहत अलग-अलग रिटर्न भरने के स्थान पर सरल एकल ऑनलाइन रिटर्न एवं पंजीकरण के लिये विशिष्ट श्रमिक पहचान नंबर प्रदान किये गए हैं।
- कारखानों में नियोजित कामगारों को पर्याप्त सुरक्षा उपाय प्रदान करने तथा उनके कल्याण के लिये कारखाना अधिनियम, 1948 में संशोधन प्रस्तावित है।
देश के विकास में श्रमिकों की भूमिका संसाधनों और शासन व्यवस्था से कमतर नहीं आंकी जा सकती है। अतः श्रमिक कल्याण और उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित कर देश के विकास को तीव्र, समावेशी और संधारणीय बनाया जा सकता है।